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स्वतंत्रता संग्राम, समाजवादी आंदोलन व डॉ0 लोहिया
डॉ0 राममनोहर लोहिया एक साथ कई किरदारों को निभाने वाले अप्रतिम विभूति थे, वे जितने महान चिंतक थे, उतने ही बड़े विद्वान और उससे कहीं अधिक बड़े राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक, यदि इतिहास की वस्तुपरक तात्विक विवेचना करें तो डॉ0 लोहिया अग्रिम पंक्ति में खड़े क्रांतिधर्मी सत्याग्रही प्रतीत होते हैं। डा0 लोहिया ने भारत की आजादी की लड़ाई में बहुआयामी भूमिका निभाई और 15 अगस्त 1947 के बाद भी स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत रहे, तभी तो राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की कलम से निकला ‘‘एक ही तो वीर रहा सीना तान है, लोहिया महान है।’’ वे गोवा के लोकगीतों के नायक बन गए, ‘‘आग्वादच्या शिवा, तुमे आमका हांडली जाग’’, पहिली माझी ...
भारत की आजादी की लड़ाई सही मायने में बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में निर्णायक मोड़ पर पहुँची। इसे सिर्फ संयोग कह कर खारिज नहीं किया जा सकता कि इसी काल-खण्ड में समाजवादी आंदोलन का सूत्रपात व विस्तार हुआ, पाँचवे दशक में देश आजाद हो गया। मुगल बादशाह जहाँगीर (1605-1627ई0) के समय प्रथम अंग्रेज मिशन कैप्टन हॉकिन्स भारत आया। जेम्स प्रथम के राजदूत टॉमस रो ने जहाँगीर से सूरत में कारखाना खोलने और व्यापार करने की इजाजत ली। 1757 में लार्ड क्लाइव ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और 1764 में अंगे्रजों ने बक्सर युद्ध के मुगल सम्राट शाह-आलम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा बंगाल के नवाब मीर कासिम की संयुक्त सेनाओं को हर...
(‘‘अटल बिहारी वाजपेयी भी डा0 लोहिया के विचारों से प्रेरित रहे हैं। 1992 में पद्भविभूषण से विभूषित भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी अक्सर डा0 साहब के यहाँ आकर राजनैतिक ज्ञान अर्जित किया करते थे। लगभग दर्जन भर पुस्तकों के लेखक अटल जी का यह लेख अनुचिन्तन के प्रवेशांक में भी प्रकाशित हो चुका है।’’)डा0 राममनोहर का व्यक्तित्व अनूठा और महान था। मैं उनकी गणना महान चिन्तकों में करता हूँ चिन्तक भी मौलिक चिन्तक। वे प्रतिबद्ध समाजवादी थे लेकिन व्यक्ति की गरिमा और स्वाधीनता में उनका अटूट विश्वास था। वे लोकतंत्र की बलि चढ़ाकर लाए गए समाजवाद के विरुद्ध थे। वे लोकतंत्र और समाजवाद दोनेां का मेल बै...
(डा0 लोहिया की वैचारिक पत्रिका ‘‘मैनकांइड’ के संपादक मंडल और भारतीय संविधान सभा के सदस्य सच्चिदानन्द सिन्हा 1893 में इंग्लैंड से वकालत कर लौटने के बाद पूरी तरह से समाजवादी आंदोलन व सत्याग्रह से जुट गए। उन्होंने राजनीति की मनीषी परम्परा को आगे बढ़ाया। प्रस्तुत है डा0 लोहिया के व्यक्तित्व को स्मरित करता हुआ उनका एक संस्मरण) किसी समकालीन विचारक-नेता के संबंध में कोई निश्चित राय बनाना काफी कठिन है, विशेषकर तब जब विचारक-नेता का प्रभाव ऐसी राय देने वाले पर विभिन्न संदर्भों में पड़ा हो। शायद लम्बे अंतराल के बाद जब विचारक नेता अपने विचारों से एकाकार हो गुट बन जाए- जैसा महात्मा गांधी के साथ हुआ है- ...
डा0 राम मनोहर लोहिया ने अमरीका में सत्याग्रह का रंग-भेद के विरुद्ध प्रभावशाली अभियान चलाया। अमरीकी जन-मानस को प्रभावित करने वाले वे (महात्मा गांधी व स्वामी विवेकानन्द के बाद) तीसरे बड़े भारतीय नेता हैं। यह लेख उनके योगदान व व्यक्तित्व से प्रभावित हैरिक वोफोर्ड का है। श्री वोफोर्ड अमरीका के सीनेटर, मार्टिन लूथर किंग तथा अमरीकी राष्ट्रपति जाॅन, एफ0 कैनेडी के सहयोगी तथा सलाहकार रहे हैं। When Che Guevara died, many radical young Americans toasted his name. We each should have our favorite revolutionaries, political artists and teachers, and I have been luckier than anyone deserves. Yet in one season of death, the most Socratic teacher I ever expect to meet (and a friend of Rammanohar Lohia's), Scott Buchanan, has died; and two of the men to whom I was most devoted in politics, Robert Kennedy and Martin Luther King, were killed. And this year of tears began with the terrible loss of Rammanohar Lohia, a man who will...
(‘‘उडूपि राजगोपालाचार्य अंनतमूर्ति कन्नड़ के श्रेष्ठतम साहित्यकारों में अग्रगण्य हैं। महात्मा गाँधी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा पद्मविभूषण तथा ज्ञानपीठ (1998) जैसे सम्मानों से विभूषित श्री अनंतमूर्ति डा0 लोहिया से प्रभावित होने वाले बुद्धिजीवियों में से एक हैं। उनका यह लेख डा0 लोहिया की व्यापक स्वीकारिता का द्योतक है।’’) डा0 राममनोहर लोहिया मेरी दृष्टि में एक असाधारण चिंतक और साहसी समाजवादी जननेता थे, मैं उनका विद्यार्थी जीवन से ही प्रशंसक रहा हूँ और आज भी उनकी अनेक प्रेरक स्मृतियां मेरे मन में जाग्रत रहती हैं। इनमें से चार प्रसंगों को बताना चाहूंगा। मेरा ‘संस्कार’ उपन्यास उ...
‘‘दुनिया के सर्वाधिक चर्चित व विवादित चित्रकारों में से एक मकबूल फिदा हुसैन की चित्रकारी अपने आप में अनन्य और अनोखी है। 17 सितंबर 1915 में महाराष्ट्र के पंढरपुर में जन्में श्री हुसैन को भारत का पिकासो कहा जाता है। वे भी डा0 लोहिया से प्रभावित रहे। उल्लेखनीय है कि डा0 लोहिया के कई पुस्तकों का रेखाचित्र व कवर-चित्र फिदा साहब ने बनाया है। पद्मश्री, पद्मभूषण तथा पद्मविभूषण जैसे सम्मानों से नवाजे़ गए मकबूल साहब का यह लेख लोहिया के उदात्त किरदार को चित्रित करता है।’’ डा0 राममनोहर लोहिया देश के एक बड़े राजनेता थे। मेरा सौभाग्य है कि मुझे उनके साथ काफी वक्त बिताने का मौका मिला। जब वे हैदराबाद में थे ...
डा0 राममनोहर लोहिया और समाजवादियों ने हमेशा साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के सभी रूपों का विरोध किया है। 1950-60 के दशक में जब पंडित नेहरू ‘‘हिन्दी-चीनी भाई-भाई’’ का नारा दे रहे थे तब डा0 लोहिया ने चीन के प्रति आगाह किया था। चीन के आक्रमण के साथ ही पंडित नेहरू जी का भ्रम टूटा और डा0 लोहिया की चेतावनी सच साबित हुई। समाजवाादियों ने हमेशा तिब्बत की आजादी का समर्थन किया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह जी ने तिब्बतियों की पीड़ा को सदैव स्वर दिया है। हमारे सांसदों का दल जब लखनऊ आया तो समाजवादी नेता शिवपाल सिंह ने हमारा मनोबल बढ़ाया, तिब्बती संस्कृति और संप्रभुता को बचाए रखने की लड़...
(‘‘प्रदीप गिरी नेपाल के प्रतिष्ठित सामयिक चिंतक राजनीतिज्ञ व सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे ‘समता नेपाल’ पत्रिका के प्रमुख सलाहकार होने के साथ-साथ रचनाधर्मिता से भी जुड़े हुए हैं। डा0 लोहिया का नेपाल से गहरा रिश्ता है। वे 1942-43 में कुछ समय नेपाल में ही रहकर भूमिगत आंदोलन को गति देते रहे राणाशाही व सामंती प्रथाओं के विरुद्ध चली नेपाली जनता के समर्थन में डा0 लोहिया सदैव खड़े रहे।’’) डा0 राममनोहर लोहियाले नेपालका समस्यामा आजीवन गम्भीर चासो प्रदर्शन गर्नुभयो। उहाँका आखिरी दिनमा हामी केही नेपाली युवाहरू उहाँका सम्पर्कमा आएका थियौं। खास गरेर म र कांगे्रस नेता शेखर कोइरालाका दाजु निर॰जन कोइराल...
डा0 राममनोहर लोहिया युगद्रष्टा थे। उन्होंने नारी समाज के सर्वकालिक बंधन व गुलामी के कारणों और इससे हो रही हानि को समझा। उन्होंने नारी को सदियों की गुलामी से मुक्त होने का रास्ता सुझाया। डा0 लोहिया ने स्वतंत्रता और समाजवादी आंदोलन में नारियों को बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने नारी विहीन सत्याग्रहों को बिना वधू के विवाह समारोह जैसी संज्ञा दी। कमला चट्टोपाध्याय 1936 में मेरठ में कांगे्रस सोशलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष चुनी गई थीं, अरुणा आसफ अली, विजया पटवर्धन, रमा मित्रा, भारत रत्न ऊषा मेहता, मृणाल गोरे प्रथम पंक्ति की नेत्रियाँ थी जिनका योगदान डा0 लोहिया और जयप्रकाश जी जि...
सम्पादकीय
डॉ0 राममनोहर लोहिया एक साथ कई किरदारों को निभाने वाले अप्रतिम विभूति थे, वे जितने महान चिंतक थे, उतने ही बड़े विद्वान और उससे कहीं अधिक बड़े राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक, यदि इतिहास की वस्तुपरक तात्विक विवेचना करें तो डॉ0 लोहिया अग्रिम पंक्ति में खड़े क्रांतिधर्मी सत्याग्रही प्रतीत होते हैं। डा0 लोहिया ने भ...
दीपक मिश्र
अतिथि सम्पादक की कलम से
भारत की आजादी की लड़ाई सही मायने में बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में निर्णायक मोड़ पर पहुँची। इसे सिर्फ संयोग कह कर खारिज नहीं किया जा सकता कि इसी काल-खण्ड में समाजवादी आंदोलन का सूत्रपात व विस्तार हुआ, पाँचवे दशक में देश आजाद हो गया। मुगल बादशाह जहाँगीर (1605-1627ई0) के समय प्रथम अंग्रेज मिशन कैप्टन हॉकिन्स भ...
शिवपाल यादव
पत्र लेखन
डॉ0 लोहिया की कलम से
‘‘भारत की आजादी के लिए डा0 लोहिया ने कई बार कारावास की कठोर व क्रूर यातनायें झेली लेकिन स्वतंत्रता का कंटकाकीर्ण पथ नहीं छोड़ा। 1944-45 में उन्हें आगरा सेण्ट्रल जेल में बंदी बनाकर भयंकर पीड़ा दी गई जिसका वर्णन उन्होंने अपने वकील श्री मदन पित्ती को दिए गए वक्तव्य में किया है। 27 अक्टूबर 1945 को आगरा की जेल में दिए गए इस ऐतिहासिक बयान से स्पष्ट होता है कि ब्रिटानिय...