बौद्धिक सभा व संयुक्त राष्ट्र हिंदी जन अभियान के अध्यक्ष दीपक मिश्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी को पत्र लिखकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता और हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने हेतु निर्णायक कदम उठाने की पुरजोर मांग की है । समाजवादी चिंतक श्री मिश्र ने बताया कि भारत इस समय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य है, जिसकी मियाद 31 दिसम्बर 2022 को समाप्त हो रही है। भारत आठवीं बार पंद्रह सदस्यीय सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य निर्वाचित हुआ है । इस प्रभावशाली वैश्विक मंच का प्रयोग स्थाई सदस्यता के लिए शीघ्रातिशीघ्र करना चाहिए , अभी भी दो सप्ताह तक का समय है, फिर भारत का कूटनीतिक पक्ष संयुक्त राष्ट्र में कमजोर हो जाएगा । दीपक के अनुसार प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री अटल बिहारी बाजपेयीजी मानते थे कि भारत सरकार सात बार अस्थाई सदस्य से स्थाई सदस्य होने का अवसर गंवा चुकी है । दीपक मिश्र ने आशा व्यक्त की है कि न केवल भारत की स्थाई सदस्यता अपितु हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ को आधिकारिक भाषा बनाने की दिशा में भारत सरकार कटिबद्ध कदम उठाएगी । उल्लेख्य है कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी भाषा होने के बावजूद हिंदी यूएनओ में आधिकारिक महत्व से वंचित है । दुर्भाग्य है कि संयुक्त राष्ट्र की विभेदकारी नीति से सर्वाधिक प्रभावित देश भारत है । चीन कई बार परोक्ष रूप से वीटों का प्रयोग भारत को अपमानित करने के लिए कर देता है और चाह कर भी भारत माकूल जवाब नहीं दे पाता है । भारत के सुरक्षा परिषद में होने से वैश्विक राजनीति में भारत का गुणात्मक महत्व बढेगा और दुनिया में चतुर्दिक फैले भारतवंशियों की प्रतिष्ठा मिलेगी । प्रधानमंत्री मोदी के अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनिओ मेनुअल डी ओलीवर गुतरस व विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर को भी दीपक ने आग्रह पत्र लिखा है ।