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लोहिया वाणी (हिन्दी के अंदर्भ में)
अंग्रेजी अपने क्षेत्र में लावण्यमयी भाषा है, फ्रेंच जितनी चटपटी नहीं, न ही जर्मन जितनी गहरी, पर ज्यादा परिमित, परिग्राही और उदार है। अब हम ‘अंग्रेजी हटाओ’ कहते हैं, तो हम यह बिल्कुल नहीं चाहते कि उसे इंग्लिस्तान या अमरीका से हटाया जाय और न ही हिन्दुस्तानी कालिजों से, बशर्ते कि वह ऐच्छिक विषय हो। पुस्तकालयों से उसे हटाने का सवाल तो उठता ही नहीं।
अंग्रेजी हिन्दुस्तान को ज्यादा नुकसान इसलिए नहीं पहुँचा रही है कि वह विदेशी है, बल्कि इसलिए कि भारतीय प्रसंग में वह सामन्ती है। आबादी का सिर्फ एक प्रतिशत छोटा-सा अल्पमत ही अंग्रेजी में ऐसी योग्यता हासिल कर पाता है, कि वह उसे सत्ता या स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करता है। इस छोटे से अल्पमत के हाथ में विशाल जन-सम्प्रदाय पर अधिकार और शोषण करने का हथियार है अंग्रेजी।
डॉ0 लोहिया की कलम से
‘‘भारत की आजादी के लिए डा0 लोहिया ने कई बार कारावास की कठोर व क्रूर यातनायें झेली लेकिन स्वतंत्रता का कंटकाकीर्ण पथ नहीं छोड़ा। 1944-45 में उन्हें आगरा सेण्ट्रल जेल में बंदी बनाकर भयंकर पीड़ा दी गई जिसका वर्णन उन्होंने अपने वकील श्री मदन पित्ती को दिए गए वक्तव्य में किया है। 27 अक्टूबर 1945 को आगरा की जेल में दिए गए इस ऐतिहासिक बयान से स्पष्ट होता है कि ब्रिटानिय...