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स्वतंत्रता संग्राम, समाजवादी आंदोलन व डॉ0 लोहिया
तिब्बत के पैरोकार थे लोहिया....
-यीशि डेल्मा
डा0 राममनोहर लोहिया और समाजवादियों ने हमेशा साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के सभी रूपों का विरोध किया है। 1950-60 के दशक में जब पंडित नेहरू ‘‘हिन्दी-चीनी भाई-भाई’’ का नारा दे रहे थे तब डा0 लोहिया ने चीन के प्रति आगाह किया था। चीन के आक्रमण के साथ ही पंडित नेहरू जी का भ्रम टूटा और डा0 लोहिया की चेतावनी सच साबित हुई। समाजवाादियों ने हमेशा तिब्बत की आजादी का समर्थन किया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह जी ने तिब्बतियों की पीड़ा को सदैव स्वर दिया है। हमारे सांसदों का दल जब लखनऊ आया तो समाजवादी नेता शिवपाल सिंह ने हमारा मनोबल बढ़ाया, तिब्बती संस्कृति और संप्रभुता को बचाए रखने की लड़ाई में सहयोग देने की बात कही। उन्होंने डा0 लोहिया के ‘‘हिमालय बचाओ’’ कार्यक्रम को तिब्बत से भी जोड़ा जा सकता है। लोहिया ने अमरीका में जाकर वहाँ रंग-भेद की जकड़ से स्वतंत्र कराने का अभियान चलाया, आज यदि डा0 लोहिया होते तो तिब्बत की आजादी की लड़ाई के पहरुआ होते।

(लेखिका तिब्बत की सांसद हैं)

अनुक्रमण
डॉ0 लोहिया की कलम से
‘‘भारत की आजादी के लिए डा0 लोहिया ने कई बार कारावास की कठोर व क्रूर यातनायें झेली लेकिन स्वतंत्रता का कंटकाकीर्ण पथ नहीं छोड़ा। 1944-45 में उन्हें आगरा सेण्ट्रल जेल में बंदी बनाकर भयंकर पीड़ा दी गई जिसका वर्णन उन्होंने अपने वकील श्री मदन पित्ती को दिए गए वक्तव्य में किया है। 27 अक्टूबर 1945 को आगरा की जेल में दिए गए इस ऐतिहासिक बयान से स्पष्ट होता है कि ब्रिटानिय...