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स्वतंत्रता संग्राम, समाजवादी आंदोलन व डॉ0 लोहिया
नारी मुक्ति के प्रणेता डा0 लोहिया !
-अंजना गुप्ता
डा0 राममनोहर लोहिया युगद्रष्टा थे। उन्होंने नारी समाज के सर्वकालिक बंधन व गुलामी के कारणों और इससे हो रही हानि को समझा। उन्होंने नारी को सदियों की गुलामी से मुक्त होने का रास्ता सुझाया। डा0 लोहिया ने स्वतंत्रता और समाजवादी आंदोलन में नारियों को बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने नारी विहीन सत्याग्रहों को बिना वधू के विवाह समारोह जैसी संज्ञा दी। कमला चट्टोपाध्याय 1936 में मेरठ में कांगे्रस सोशलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष चुनी गई थीं, अरुणा आसफ अली, विजया पटवर्धन, रमा मित्रा, भारत रत्न ऊषा मेहता, मृणाल गोरे प्रथम पंक्ति की नेत्रियाँ थी जिनका योगदान डा0 लोहिया और जयप्रकाश जी जितना ही है। डा0 लोहिया ने महात्मा गाँधी की ‘‘राम-राज्य’’ की अवधारणा को संशोधित तथा परिवर्द्धित करते हुए सीता-राम राज्य की परिकल्पना की। लोहिया ने योनि के कटघरों से भी नारी को मुक्त कर आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाने की पैरवी की। उनकी सप्तक्रांति का प्रथम सूत्र नर-नारी समता की वकालत करता है।  
अनुक्रमण
डॉ0 लोहिया की कलम से
‘‘भारत की आजादी के लिए डा0 लोहिया ने कई बार कारावास की कठोर व क्रूर यातनायें झेली लेकिन स्वतंत्रता का कंटकाकीर्ण पथ नहीं छोड़ा। 1944-45 में उन्हें आगरा सेण्ट्रल जेल में बंदी बनाकर भयंकर पीड़ा दी गई जिसका वर्णन उन्होंने अपने वकील श्री मदन पित्ती को दिए गए वक्तव्य में किया है। 27 अक्टूबर 1945 को आगरा की जेल में दिए गए इस ऐतिहासिक बयान से स्पष्ट होता है कि ब्रिटानिय...